वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका, मिर्गी के बारे में पहले से पता चल पाएगा

वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका, मिर्गी के बारे में पहले से पता चल पाएगा

मिर्गी के दौरे पड़ना लोगों के लिए बहुत ही तकलीफदेह अनुभव से गुजरने जैसा होता है। उम्र के किस पड़ाव पर आप इसके शिकार हो जाएं कोई नहीं जानता। एक बार हो जाने पर इसका स्‍थाई इलाज भी मुश्किल ही होता है। मगर अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकालने का दावा किया है कि जिससे किसी व्‍यक्ति को भविष्‍य में यह बीमारी होने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों के जिस समूह ने यह अध्‍ययन किया है उसमें भारतीय मूल के वैज्ञानिक संजय सिसोदिया भी शामिल हैं। वैज्ञानिकों की इस खोज के नतीजे अंतरराष्‍ट्रीय पत्रिका ब्रेन में प्रकाशित हुए हैं। इन वैज्ञानिकों ने पाया है कि मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में तंत्रिका कोशिकाओं (ग्रे मैटर) की मोटाई और मात्रा मिर्गी के जोखिम का पूर्वानुमान लगा सकती है। यानी इन ग्रे मैटर की जांच करके यह पता लगाया जा सकता है कि संबंधित व्‍यक्ति मिर्गी के जोखिम में आता है या नहीं।
पत्रिका ‘ब्रेन’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार मिर्गी में जितना माना जाता है, उससे कहीं ज्यादा भौतिक अंतर इन ग्रे मैटर में होता है। यहां तक कि उन प्रकार की मिर्गियों में भी जिन्हें सॉफ्ट या हलका माना जाता है और जिनमें दौरे नियंत्रण में होते हैं उन मामलों में भी ग्रे मैटर में बहुत अंतर पाया गया है। अनुसंधानकर्ताओं ने जिन मस्तिष्क विसंगतियों की पहचान की है, वे गूढ़ होते हैं ।
अध्‍ययन दल में शामिल प्रोफेसर संजय सिसोदिया ने कहा, ‘हमने उन आम मिर्गियों में भी ग्रे मैटर में अंतर पाया जिन्हें अपेक्षाकृत मृदु माना जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने अबतक इन अंतरों के असर का आकलन नहीं किया है, लेकिन हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि जितना हमारा अहसास है उससे कहीं ज्यादा मिर्गी का खतरा है और अब हमें इन अंतरो को समझने के लिए और शोध करने की जरुरत है।’

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